मुहावरे व लोकोक्तियाँ और उनके अर्थ वाक्य प्रयोग |Muhavare aur Lokoktiyan in Hindi

Muhavare aur Lokoktiyan in Hindi :- अगर आप किसी भी सरकारी एग्जाम की तैयारी कर रहे हैं तो आपको हिंदी व्याकरण की जानकारी होना अनिवार्य है | हिंदी व्याकरण में मुहावरे एवं लोकोक्तियां हमेशा एग्जाम में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और आपके अच्छे मार्क लाने में कारगर साबित होती है | | मुहावरे एवं लोकोक्तियां का अध्ययन /प्रेक्टिस कर लेना चाहिए, जिससे एक्साम के वक्त हमे कोई डॉउट ना रहेआज इस पोस्ट में हम विभिन्न परीक्षायों में पूछे जाने वाले मुहावरे एवं लोकोक्तियां को देखेंगे |

Advertisement

आज इस पोस्ट के माध्यम से हम मुहावरे और लोकोक्तियां यह बारे में जान पाएंगे और यह भी जानेंगे कि किस मुहावरे के कौन से अर्थ होते हैं जिससे कि आपको स्पष्ट हो सके कि हम मुहावरों का प्रयोग क्यों और कैसे करते हैं | मुहावरे एवं लोकोक्तियां से सम्बंधित पूरी जानकारी और महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर आज इस पोस्ट में हम देखेंगे | अगर आपको यह पोस्ट पसंद आई हो तो आप इसे अपने दोस्तों में शेयर जरूर करें |

Muhavare-aur-Lokoktiyan-in-Hindi

मुहावरे क्या होते हैं

मुहावरे :- ऐसा वाक्य जो वाक्य की रचना करने पर अपना एक अलग अर्थ प्रकट करता और इसका प्रयोग करने से भाषा,आकर्षक, प्रभावपूर्ण तथा रोचक बन जाती है।

जैसे:- ‘ नौ दो ग्यारह होना ‘ मुहावरा गणितीय संक्रिया को न बताकर ‘ भाग जाना ‘ अर्थ होता है|

मुहावरे और लोकोक्ति में अंतर

Advertisement

मुहावरा पूर्णतः स्वतंत्र नहीं होता है, अकेले मुहावरे से वाक्य पूरा नहीं होता है। मुहावरा छोटा होता है |

लोकोक्ति पूरे वाक्य का निर्माण करने में समर्थ होती है। लोकोक्ति बड़ी और भावपूर्ण होती है।लोकोक्ति को ‘ कहावत’ नाम से भी जाना जाता है।

प्रमुख मुहावरे :-

  • टाँग अड़ाना – बाधा डालना
  • टेढ़ी उँगली से घी निकालना – चतुराई से काम निकालना
  • टेढ़ी खीर होना – कठिन काम
  • टोपी उछालना – अपमानित करना
  • टका सा जवाब देना – साफ-साफ मना करना
  • टका सा मुँह लेकर रह जाना – लज्जित होना
  • उड़ता तीर झेलना – अनावश्यक विपत्ति मोल लेना
  • उड़ती चिड़िया पहचानना – थोड़े इशारे में ही सब कुछ समझ लेना
  • आपे से बाहर होना – वश में न रह पाना
  • आग लगने पर कुआ खोदना – मुसीबत के समय उपाय खोजना
  • एक आँख से देखना – समदृष्टि या समभाव होना
  • एड़ी चोटी का जोर लगाना – बहुत प्रयास करना
  • एक ही थाली के चट्टे-बट्टे होना – समान प्रवृत्ति के होना
  • एक लाठी से हाँकना – सबके साथ एक-सा व्यवहार करना
  • ऋण उतारना – कर्ज अदा करना
  • ऋण मढ़कर जाना – अपना कर्ज किसी अन्य पर डालना
  • एक और एक ग्यारह होना – संगठन में शक्ति होना
  • उल्टी पट्टी पढ़ाना – गलत शिक्षा देना
  • उल्टी माला फेरना – अहित सोचना
  • ओखली में सिर देना – जान-बूझकर विपत्ति मोल लेना
  • औने-पौने करना – कम लाभ या कम कीमत में बेच देना
  • उन्नीस बीस का फर्क होना – मामूली अन्तर
  • उल्टी गंगा बहाना – रीति विरुद्ध कार्य करना
  • उल्लू बनाना – मूर्ख बनाना
  • अक्ल के पीछे लट्ठ लिए घूमना – बुद्धि विरुद्ध कार्य करना
  • अगर-मगर करना – बहाने बनाना
  • अड़ियल टटू होना – जिद्दी होना
  • अपना उल्लू सीधा करना – अपना स्वार्थ सिद्ध करना
  • अक्ल का दुश्मन होना – मूर्ख होना
  • अक्ल के घोड़े दौड़ाना – केवल कल्पनाएँ करना।
  • आसमान सिर पर उठाना – अत्यधिक शोर करना
  • आठ-आठ आँसू रोना – बुरी तरह रोना या पछताना
  • आस्तीन का साँप होना – कपटी मित्र
  • इतिश्री होना – अंत या समाप्त होना
  • इधर-उधर की हाँकना – व्यर्थ की बातें करना
  • ईट का जवाब पत्थर से देना – करारा जवाब देना
  • ईट से ईंट बजाना – कड़ा मुकाबला करना
  • ईद का चाँद होना – बहुत दिनों बाद दिखना
  • इशारों पर नचाना – किसी को अपनी इच्छानुसार चलाना
  • उंगली उठाना – निन्दा करना या आरोप लगाना
  • उगल देना – सारा भेद प्रकट कर देना
  • उंगली पर नचाना – किसी अन्य के इशारे पर चलना
  • आँखें खुलना – सजग या सावधान होना
  • आँखेंचार होना – आमना-सामना होना
  • आँखेंचुराना- नजर बचाना
  • आँच न आने देना – जरा भी कष्ट न आने देना
  • आँखों में खून उतरना – अत्यधिक क्रोध करना
  • आँखों में धूल झोंकना – धोखा देना
  • आँखों का तारा – अत्यन्त प्यारा
  • आँखें बिछाना – प्रेमपूर्वक स्वागत करना
  • आँखों पर परदा पड़ना – भले-बुरे की परख न होना
  • आँच न आने देना – जरा भी कष्ट न आने देना
  • आँचल पसारना – प्रार्थना करना
  • आँसू पोंछना – धीरज व ढाढस बँधाना
  • आँधी के आम होना – सस्ती चीजें
  • आकाश के तारे तोड़ना – असंभव कार्य को अंजाम देना
  • आईने में मुँह देखना – अपनी योग्यता की जाँच कर लेना
  • आग बबूला होना – अत्यधिक क्रोध करना
  • आग में घी डालना – क्रोध को बढ़ाने का कार्य करना
  • आटे-दाल का भाव मालूम होना – जीवन के यथार्थ को जानना
  • आकाश टूटना – अचानक बड़ी विपत्ति आना
  • आड़े आना – बाधक बनना
  • कच्चा चिट्ठा खोलना – रहस्य बताना
  • कमर कसना – तैयार होना
  • कलेजा ठंडा होना – मन को शांति मिलना
  • कागजी घोड़े दौड़ाना– केवल कागजी कार्रवाई करना
  • काठ का उल्लू होना – महामूर्ख होना, वज्र मूर्ख
  • कानखड़े होना – चौकन्ना होना
  • कापकड़ना – गलती स्वीकार करना
  • कान में तेल डालकर बैठना – सुनकर भी अनसुना करना
  • क्रोध काफूर होना – गुस्सा गायब होना
  • काल कवलित होना – मर जाना
  • किताबी कीड़ा होना – हर समय पढ़ने में लगे रहना
  • कूच करना – चले जाना
  • कोढ़ में खाज होना – दु: ख में और दु: ख आना
  • गड़े-मुर्दे उखाड़ना – पुरानी बातें करना
  • गले मढ़ना – जबरन कार्य सौंपना
  • गागर में सागर भरना – थोड़े शब्दों में बहुत कुछ कह देना
  • अपना सा मुँह लेकर रह जाना – किसी अकृत कार्य के कारण लज्जित हो।
  • अपनी खिचड़ी अलग पकाना – साथ मिलकर न रहना, अलग रहना
  • अपने तक रखना – किसी दूसरे से न कहना
  • अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना – अपना नुकसान स्वयं करना
  • अपने मुँह मियाँ मिठू बनना – अपनी प्रशंसा स्वयं करना
  • अंक भरना – स्नेहपूर्वक गले मिलना
  • अंग-अंग ढीला होना – बहुत थक जाना
  • अंगारे उगलना – क्रोध में कटु वचन कहना
  • अंधा बनना – जानते हुए भी ध्यान न देना
  • अंधे की लाठी होना – एकमात्र सहारा
  • अंधेर खाता होना – सही हिसाब न होना
  • गाजर मूली समझना – तुच्छ समझना, मामूली मानना
  • गाल बजाना – बढ़-चढ़कर बातें करना
  • गुड़ गोबर करना – बना कार्य बिगाड़ देना
  • गिरगिट की तरह रंग बदलना – अवसरवादी होना
  • गाँठ बाँधना – स्थायी रूप से याद रखना
  • गाँठ पड़ना – द्वेष का स्थायी होना
  • गूदड़ी का लाल होना – गरीबी में भी गुणवान होना
  • गंगा नहाना – दायित्व से मुक्ति मिलना
  • गाल फुलाना – गुस्सा होना
  • घोड़े बेचकर सोना – निश्चंत होकर सोना
  • घुटने टेकना – हार मानना
  • घाट-घाट का पानी पीना – स्थान-स्थान का अनुभव होना
  • घास काटना – बिना गुणवत्ता कार्य करना
  • घाव हरा होना – भूला दुख दर्द याद आना
  • घर बसाना – विवाह कराना
  • चींटी के पर निकलना – मृत्यु के दिन समीप आना

यह भी पढ़े :-

  • चल बसना – मृत्यु होना
  • चैन की बंशी बजाना – मौज करना
  • चोली दामन का साथ होना – बहुत निकटता
  • चिकना घड़ा होना – कुछ भी असर न होना, बेशर्म होना
  • चाँदी का जूता मारना – घूस (रिश्वत) देना
  • चार चाँद लगना – शोभा में वृद्धि होना
  • चादर से बाहर पैर पसारना – आय से ज्यादा खर्च करना
  • कान का कच्चा होना – जल्दी किसी के बहकावे में आना
  • कान भरना – चुगली करना
  • कोल्हू का बैल होना – निरंतर काम में जुटे रहना
  • कौड़ी के मोल बेचना – अत्यन्त सस्ता होना
  • कान पर जूं तक न रेंगना – कोई असर न पड़ना
  • कंधे से कंधा मिलाना – साथ देना
  • कन्नी काटना – आँख बचाकर निकलना
  • कान कतरना – चतुराई दिखाना
  • कलेजे का टुकड़ा होना – बहुत प्रिय
  • कान खोलना – सावधान करना
  • कुँए में भांग पड़ना – सबकी मति भ्रष्ट होना
  • कीचड़ उछालना – अपमानित/ बेइज्जत करना
  • कतर ब्योंत करना – काट-छाँट करना
  • कफन की कौड़ी न होना – दरिद्र होना
  • कब्र में पाँव लटकना – मृत्यु के निकट होना
  • कमर कसना – तैयार होन
  • कान भर जाना – सुनते सुनते पक जाना
  • काम निकालना – अपना मतलब पूरा करना
  • घड़ों पानी पड़ना – लज्जित होना
  • घर फूंककर तमाशा देखना – अपना नुकसान होने पर भी मौज करना
Advertisement
  • चूना लगाना – नुकसान करना
  • चिराग तले अंधेरा होना – अपने दोष न देख पाना
  • चार दिन की चाँदनी होना – अल्पकालीन सुख
  • चूड़ियाँ पहनना – कायरता दिखाना
  • चारों खाने चित्त होना – बुरी तरह हारना
  • चंगुल में फँसना – पकड़ में आना
  • चक्की पीसना – जेल की सजा भुगतना
  • चिकना देख फिसल पड़ना – किसी के रूप या धन पर लुभा जाना
  • चित्त उचटना – मन न लगना
  • छक्के छुड़ाना – बुरी तरह हराना
  • छठी का दूध याद आना – संकट में पड़ना
  • छाती पर मूंग दलना – साथ रहकर परेशान करना
  • छप्पर फाड़कर देना – बिना परिश्रम बहुत देना
  • छाती पर पत्थर रखना – धैर्यपूर्वक कष्ट सहन करना
  • छाती पर साँप लौटना – ईर्ष्या करना
  • छाँह तक न छूने देना – समीप न आने देना
  • छटे-छंटे फिरना – दूर-दूर रहना
  • छठे छमासे आना – कभी-कभी आना
  • छप्पर पर फूस न होना – अत्यन्त गरीब होना
  • छाती ठोकना – कठिन कार्य हेतु प्रतिज्ञा करना
  • छींकते नाक कटना – छोटी बात पर चिढ़ना
  • जले पर नमक छिड़कना – दुखी व्यक्ति को और दुखी करना
  • जान हथेली पर रखना – मृत्यु की परवाह न करना
  • जहर का यूंट पीकर रह जाना – कड़वी बात सहन करना
  • जहर उगलना – कड़वी बातें कहना
  • जी तोड़कर काम करना – बहुत परिश्रम करना
  • जान पर खेलना – साहसी कार्य करना
  • जिन्दा मक्खी निगलना – स्पष्ट दिखता हुआ अन्याय सहन करना
  • जी चुराना – कार्य से स्वयं को अलग रखना
  • जहर उगलना – अपमानजनक बातें कहना
  • जड़ काटना – समूल नष्ट करना
  • जमीन आसमान एक करना – सभी उपाय करना
  • जमीन आसमान का अंतर – बड़ा भारी अन्तर
  • जान के लाले पड़ना – प्राण संकट में पड़ना
  • घी के दीये जलना – खुशियाँ मनाना
  • किला फतेह करना – किसी कठिन कार्य में सफलता प्राप्त करना
  • खाल खींचना – बहुत मारना
  • खाट पकड़ लेना – बहुत बीमार पड़ जाना
  • खरी-खोटी कहना – भला-बुरा कहना
  • खाक छानना – मारे-मारे फिरना निरुद्देश्य भटकना
  • खेत रहना – युद्ध में मारे जाना
  • खाक में मिलना – नष्ट होना
  • खून खौलना –अत्यधिक क्रोध आना
  • खून-पसीना एक करना – कठोर परिश्रम करना
  • ख्याली पुलाव पकाना – कोरी (व्यर्थ) कल्पनाएँ करना
  • खून का चूंट पीकर रह जाना – चुपचाप गुस्सा सहन कर लेना
  • खरी-खरी सुनाना – साफ-साफ कहना
  • खून सूखना – भयभीत होना
  • खटाई में पड़ना – कार्य में व्यवधान आना
  • खिचड़ी पकाना – गुप्त योजना बनाना
  • गंगा नहाना – किसी कठिन कार्य को पूर्ण करना
  • कमर कसना – किसी कार्य के लिए तैयार होना
  • कलेजा मुँह को आना – घबरा जाना
  • जूतियाँ चाटना – चापलूसी करना
  • जंजाल में पड़ना – संकट में पड़ना
  • जलती आग में कूदना – जान-बूझकर विपत्ति में पड़ना
  • जिन्दगी के दिन पूरे करना – मृत्यु के दिन समीप होना
  • जिल्लत उठाना – अपमानित होना
  • जी छोटा करना – हृदय के उत्साह में कमी
  • जूठे हाथ से कुत्ता न मारना – अत्यधिक कंजूस होना
  • झंडा गाड़ना – अधिकार करना

हिन्दी में प्रमुख लोकोक्तिया :

  • अंधे के हाथ बटेर लगना-परिश्रम के बिना ही सफलता मिलना.
  • अंधेर नगरी चौपट राजा –भ्रष्टाचार में लिप्त शासन एवं अजागरूक प्रजा.
  • अपनी-अपनी ढपली अपना-अपना राग- सिर्फ़ अपने मन की करना या दूसरों के साथ तालमेल नहीं बैठाना.
  • अपनी गली में तो कुत्ता भी शेर होता है- अपने घर या क्षेत्र में ताक़त दिखाना.
  • आठ वार नौ त्योहार :- मौजमस्ती से जीवन बिताना।
  • आप भले तो जग भला :- स्वयं भले होने पर आपको भले लोग ही मिलते हैं।
  • आसमान से गिरा, खजूर में अटका :- काम पूरा होते-होते व्यवधान आ जाना।
  • अंधेर नगरी चौपट राजा :- अयोग्य प्रशासन
  • अंधा बाँटे रेवड़ी फिर-फिर अपने को देय :- अधिकार मिलने पर स्वार्थी व्यक्ति अपने लोगों की ही मदद करता है।
  • अंधे के हाथ बटेर लगना :- बिना परिश्रम के अयोग्य व्यक्ति को सुफल की प्राप्ति
  • अंधों में काना राजा :- मूर्खो के बीच अल्पज्ञ भी बुद्धिमान माना जाता है।
  • अधजल गगरी छलकत जाय :- अल्पज्ञ अपने ज्ञान पर अधिक इतराता है।
  • आगे कुआँ पीछे खाई :- सब ओर कष्ट ही कष्ट होना।
  • आ बैल मुझे मार :- जान-बूझकर विपत्ति मोल लेना।
  • आगे नाथ न पीछे पगहा :- पूर्णतः बंधन रहित/ बेसहारा।
  • ऊँट के मुँह में जीरा :- आवश्यकता अधिक आपूर्ति कम।
  • एक म्याँन में दो तलवारें नहीं समा सकती :- दो समान अधिकार वाले व्यक्ति एक साथ कार्य नहीं कर सकते।
  • एकै साधे सब सधै, सब साधे जब जाय :- एक समय में एक ही कार्य करना फलदायी
  • एक ही थैली के चट्टे-बट्टे होना :- समान दुर्गुण वाले एकाधिक व्यक्ति।
  • अक्ल बड़ी या भैंस :- शारीरिक बल की अपेक्षा बुद्धिबल श्रेष्ठ होता है।
  • अटका बनिया देव उधार :- मजबूर व्यक्ति अनचाहा कार्य भी करता है।
  • अपना रख पराया चख :- स्वयं के पास होने पर भी किसी अन्य की वस्तु का उपभोग करना।
  • अपनी-अपनी ढपली, अपना-अपना राग :- तालमेल न होना।
  • अरहर की टट्टी गुजराती ताला :- बेमेल प्रबंध, सामान्य चीजोंकी सुरक्षा में अत्यधिक खर्च करना।
  • अपना हाथ जगन्नाथ :- अपना कार्य स्वयं करना ही उपयुक्त रहता है।
  • ऊधो की पगड़ी, माधो का सिर :- किसी एक का दोष दूसरे पर मढ़ना।
  • एक पंथ दो काज :- एक कार्य से दोहरा लाभ।
  • एक हाथ से ताली नहीं बजती :- केवल एक पक्षीय सक्रियता से काम नहीं होता।
  • आँख का अंधा, गाँठ का पूरा :- बुद्धिहीन किन्तु सम्पन्न।
  • आँख बची और माल यारों का :- ध्यान हटते ही चोरी हो सकती है।
  • आधी छोड़ पूरे ध्यावे, आधी मिले न पूरे पावै :- अधिक के लोभ में उपलब्ध वस्तु या लाभ को भी खो बैठना।
  • आम के आम गुठलियों के दाम :- दुगुना लाभ।
  • आए थे हरिभजन को, ओटन लगे कपास :- बड़े उद्देश्य को लेकर कार्य प्रारम्भ करना किन्तु छोटे कार्य में लग जाना।
Advertisement
  • उधार का खाना फूस का तापना :- बिना परिश्रम दूसरों के सहारे जीने का निरर्थक प्रयास करना।
  • ऊँची दुकान फीका पकवान :- मात्र दिखावा।
  • ऊँट किस करवट बैठता है :- परिणाम किसके पक्ष में होता है/ अनिश्चित परिणाम।
  • ऊधो का लेना न माधो का देना :- किसी से कोई लेना-देना न होना।
  • अपनी करनी पार उतरनी :- मनुष्य को स्वयं के कर्मों के अनुसार ही फल मिलता है।
  • अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता :- अकेला आदमी बड़ा काम नहीं कर सकता
  • अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत :- हानि हो जाने के बाद पछताना व्यर्थ है।
  • अंडे सेवे कोई, बच्चे लेवे कोई :- परिश्रम कोई करे फल किसी अन्य को मिले
  • आठ कनौजिये नौ चूल्हे :- अलगाव या फूट होना।
  • इन तिलों में तेल नहीं :- कुछ मिलने या मदद की उम्मीद न होना।
  • इधर कुआँ उधर खाई :- सब ओर संकट।
  • उँगली पकड़ते पहुँचा पकड़ना :- थोड़ी सी मदद पाकर अधिकार जमाने की कोशिश करना।
  • उतर गई लोई तो क्या करेगा कोई :- एक बार इज्जत जाने पर व्यक्ति निर्लज हो जाता है।
  • उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे :- दोषी व्यक्ति द्वारा निर्दोष पर दोषारोपण करना।
  • उल्टे बाँस बरेली को :- विपरीत कार्य करना।
  • अंधा क्या चाहे दो आँखें :- बिना प्रयास इच्छित फल की प्राप्ति।
  • अंधे के आगे रोना, अपना दीदा खोना :- सहानुभूतिहीन या मूर्ख व्यक्ति के सामने अपना दुखड़ा रोना व्यर्थ है।
  • एक अनार सौ बीमार :- वस्तु अल्प चाह अधिक लोगों की।
  • एक तो करेला दूसरा नीम चढ़ा :- एकाधिक दोष होना
  • एक गंदी मछली सारे तालाब को गंदा करती है :- एक व्यक्ति की बुराई से पूरे परिवार समूह की बदनामी होना।
  • एक तो चोरी दूसरे सीना-जोरी :- अपराध करके रौब जमाना।

मुहावरे और लोकोक्ति  से सम्बंधित अन्य जानकारी के लिए हमारे अन्य पोस्ट को भी देखे |और अपने दोस्तों में इसे शेयर जरुर करे |

कृपया शेयर जरुर करें -