Environmental Studies CTET एवं सभी शिक्षक भर्ती परीक्षाओ में पूछे जाते है | Environmental Studies से बहुविकल्पीय वस्तुनिष्ठ प्रारूप में कुल 30 प्रश्न पूछे जाते हैं। शिक्षक पात्रता परीक्षा जैसे की – CTET, UPTET, HPTET, PSTET,BPSC TET ,MPTET ,etc में पूछे जाते हैं |ईवीएस के नोट्स जो विभिन्न टीईटी परीक्षा के लिए तैयार हैं जो आपकी बेहतरीन तैयारी के लिए महत्वपूर्ण है | पर्यावरण अध्ययन के महत्वपुर्ण वन लाइनर प्रश्न उत्तर से आप परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं |
पर्यावरण अध्ययन CTET, UPTET, REET, MP TET और अन्य शिक्षण परीक्षाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है |CTET EVS सिलेबस 2024 में इस खंड Environmental Studies से बहुविकल्पीय वस्तुनिष्ठ प्रारूप में कुल 30 प्रश्न पूछे जाते हैं। Environmental Studies (EVS) in One-Shot आपके परीक्षा में लिए काफी महत्वपूर्ण है | आप इस पोस्ट में पर्यावरण अध्ययन(EVS Pedagogy ) के महत्वपूर्ण क्वेश्चन और उनके उत्तर को देख पाएंगे | इसलिए CTET EVS MCQ in hindi 2024 इस पोस्ट के माध्यम से पूरा जरुर देखें |
![EVS Pedagogy Notes](https://teacherexamnotes.com/wp-content/uploads/2024/01/ctet-evs-ncert-notes-marathon-complete-set1-1024x593.jpg)
Environmental Studies (EVS) in One-Shot
पक्षियों से सम्बंधित पूछे जाने वाले प्रश्न
- पक्षियों के पंजे पानी में तैरने वाले पक्षियों के पंजे झिल्लीदार होते हैं।
- पक्षियों के झिल्लीदार पैर तैरने में उनकी मदद करती है। जैसे बत्तख, राजहंस, पेलिकन पक्षी के पैर
- जिन पक्षियों के पंजो में आगे की तरफ फैली तीन अंगुलियाँ और पीछे एक अंगुली होती है, ऐसे पंजे टहनियों पर बैठने में मदद करते हैं जैसे गौरेया
- पक्षियों के आगे की ओर फैला पंजा, नरम सतह पर चलने में मदद करता है जैसे – यूरोन का ।
- जिन पक्षियों की टांगें और पैरों की उंगलियां लम्बी होती हैं वे पक्षी पानी के किनारे वाली सतह पर आसानी से चल फिर लेते है।
- पक्षी पानी के किनारे वाली सतह पर मछलियों का शिकार आसानी से कर लेते हैं। जैसे क्रेन, सारस, बगुला आदि
- पक्षी के ऐसा मजबूत पंजा जो थोड़ा मुड़ा हुआ और तेज नाखूनों वाला होता है, शिकार को पकड़ने में मदद करता है। जैसे- चील, गिद्ध और उल्लू के पैर
- पक्षी केवल अंडे देने के लिए घोसला बनाते हैं जब अंडों से बच्चे निकल जाते हैं तो वह घोसला छोड़ कर उड़ जाते हैं |
- पक्षी के घोसला छोड़कर पक्षी अलग-अलग जगह चले जाते हैं पेड़ों पर जमीन पर और पानी में।
- अधिकतर पक्षियों की आंखें उनके सिर के दोनों तरफ होती हैं |
पक्षी एक ही समय में दो अलग-अलग चीजों को एक साथ देख सकते है |
जब पक्षी अलग- अलग चीजों पर को एक साथ देखते हैं तो उनका देखने का दायरा बढ़ता है और जब ये बिल्कुल सामने देखते हैं तो इनकी दोनों आंखें एक ही चीज पर होती है |
ज्यादातर पक्षियों की आंखों की पुतली नहीं घुमती है इसलिए वह अपनी गर्दन घुमाकर ही आसपास देखते है |
पक्षियों के पंख उन्हें उड़ने में मदद करते हैं और उन्हें गरमाहट भी देते हैं उनके नए पंख आते रहते हैं और पुराने झड़ते रहते हैं जैसे बसंत गौरी
बसंत गौरी पक्षी गर्मियों में टुकटुक करती रहती हैं पेड़ के तने में गहरा छेद बनाकर उसमें अंडे रखती है।
कठफोड़वा (वुडपेकर) भी बसंत गौरी की तरह पेड़ के तने में गहरा छेद बनाकर घोंसला बनाता है |
शक्कर खोरा (सूर्य पक्षी ) किसी छोटे पेड़ या झाड़ी की डाली पर अपना लटकता हुआ घोंसला बनाती है |
शक्कर खोरा (सूर्य पक्षी ) का घोंसला बाल, मकड़ी के जाले, पतली टहनियां, पत्ते, रूई, पेड़ की छाल के टुकड़े और कपड़ों के चीथड़ों से बना होता है |
दर्जिन चिड़िया अपनी नुकीली चोंच से पत्तों को सी लेती है और उनसे एक थैली सी बना लेती है और उसमे अंडे देती है |
नर वीवर पक्षी अपने अपने घोंसले बनाते हैं और मादा वीवर उन सभी घोसलों को देखती है फिर उनमें से जो घोंसला सबसे ज्यादा पसंद आता है उसमें ही वह अंडे देती है |
चील, बाज और गिद्ध हम से 4 गुना अधिक दूर तक देख पाते हैं | चील की पूँछ खांचे वाली होती है |
गिद्ध मरे हुए जानवरो को खा कर जगह साफ़ कर देता है और आकाश में ऊंचाई पर उड़ता है |
चील जमीन पर पड़ी हुई कोई चीज किसी को एक से दो किलोमीटर की दूरी से दिखाई दे जाती है ।
कौए, गिलहरी, बिल्ली और चूहे, मौका देखते ही बार घोंसले को भी तोड़ देते हैं |कौए, गिलहरी, बिल्ली. और चूहे, मौका देखते ही अंडे चुरा लेते हैं। कई बार घोंसले को भी तोड़ देते हैं |
फाख्ता कैक्टस, कांटो के बीच या मेहंदी मेंढ़ में अपना घोंसला बनाती है |डव, कैक्टस के पौधे या मेहंदी के बाड़े के कांटों के बीच अपना घोंसला बनाता है।
उल्लू अपनी गर्दन पीछे तक घुमा सकता है | उल्लू अपनी गर्दन को 270 डिग्री तक घुमा सकता है। लचीलेपन के ओझा-शैली के प्रदर्शन में, उल्लू रक्त वाहिकाओं को तोड़े बिना या टेंडन को फाड़े बिना अपनी गर्दन को अधिकतम 270 डिग्री तक घुमा सकता है।
मैना झटके से अपनी गर्दन आगे पीछे करती है | मैना पक्षी की प्रजाति झटके से अपनी गर्दन को आगे-पीछे करती है।
पक्षियों की आँखों का आकार उनके सिर की तुलना बड़ा होता है। बड़ी आँखें साफ देखने में मद्द करती हैं। उड़ते हुए टकराने से बचाती हैं, दूरसे शिकार को पहचानने और पकड़ने मैं मदद करती हैं।
कलचिड़िया पत्थरो के बीच अपना घोंसला बनाती है इनके घोसले में पौधों की नाजुक है टहनी, जड़े, ऊन, बाल, रुई सब बिछा रहत यह छोटे-छोटे कीड़े खाती हैइनकी चोंच अंदर से लाल होती है।
कौवे के घोंसले में लोहे के तार और लकड़ी की टहनियां जैसी चीजें भी होती है | कौवा पेड़ की ऊंची डाल पर घोंसला बनाता है | कौवा अपने अंडों के साथ-साथ कोयल के अंडों को भी सेता है |
कोयल अपना घोंसला नहीं बनाती है वह कौवे के घोंसले में अंडे देती है |
गौरैया अलमारी के ऊपर, आईने के पीछे अपना घोंसला बनाती है |
कबूतर पुराने मकान या खंडहर में घोंसला बनाते हैं |
पक्षियों की चोंच (bird’s beak ) :- बाज, चील और गिद्द जैसे मांसाहारी पक्षियों की चोंच छोटी और हुक कि तरह मुड़ी होती हैं।
तोते की घुमावदार चोंच होती है। जो फल कुतरने में मदद करती है। कबूतर, गौरैया, आदि में चोंच छोटी, चौड़ी और मजबूत होती है। ऐसी चोंच अनाज के दानों को तोड़ने में सक्षम होती है।
मिट्टी, कीचड़ से कीड़े या अन्य छोटे-छोटे जीवों को पकड़ने वाले पक्षियों की चोंच लंबी पतली नुकीली और मुड़ी होती है।