CTET पर्यावरण अध्ययन के महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर | CTET EVS Pedagogy Notes One Liner

Important Questions of EVS for CTET : केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET ) सीबीएसई के द्वारा आयोजित की जाती है | इस परीक्षा में पर्यावरण अध्ययन और बाल विकास से क्वेश्चन पूछे जाते हैं | पर्यावरण अध्ययन के महत्वपुर्ण वन लाइनर प्रश्न उत्तर से आप परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं | CTET EVS सिलेबस 2023 में इस खंड Environmental Studies से बहुविकल्पीय वस्तुनिष्ठ प्रारूप में कुल 30 प्रश्न पूछे जाते हैं।Ctet EVS & NCERT EVS Notes के अन्य पोस्ट को भी देखे और अपने शिक्षक पात्रता परीक्षा में अच्छे मार्क लाये |

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केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET ) इस बार फिर से OMR से लिया जायेगा और इस परीक्षा का आयोजन 20 अगस्त 2023 को किया जायेगा | आप इस पोस्ट को पूरी जरुर पढ़े और परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करे | CTET 2023 परीक्षा के लिए कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न शिक्षक पात्रता परीक्षा जैसे की – CTET, UPTET, HPTET, PSTET,BPSC TET ,MPTET ,etc में पूछे जाते हैं | अगर आप भी शिक्षक भर्ती परीक्षा की तैयारी करते हैं तो इस पोस्ट को पूरा जरुर पढ़ें | आज इस पोस्ट के माध्यम से हम पर्यावरण अध्ययन के महत्वपूर्ण वन लाइनर को देखेंगे | यह प्रश्नों की श्रृखला में आप CTET EVS Pedagogy Notes जो आपके एग्जाम के लिए महत्वपूर्ण है |

CTET EVS Notes

पर्यावरण अध्ययन के महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर | EVS notes for teaching exams |CTET EVS Notes | EVS Question for CTET | CTET EVS Notes in hindi

  • गाय के गोबर और मिट्टी से वर्ली जनजाति, वर्ली आर्ट (कला) बनती है।
  • भारत दुनिया में सबसे बड़ी और विविध जनजातीय आबादी में से एक है।
  • महाराष्ट्र के ठाणे जिले में वर्ली जाति के आदिवासियों का निवास है। इस आदिवासी जाति की कला ही वरली लोक कला के नाम से जानी जाती है।
  • वर्ली जन जाति महाराष्ट्र के दक्षिण से गुजरात की सीमा तक फैली हुई है।
  • वर्ली चित्रकला एक प्राचीन भारतीय कला है जो की महाराष्ट्र की एक जनजाति वर्ली द्वारा बनाई जाती है और यह कला उनके जीवन के मूल सिद्धांतों को प्रस्तुत करती है।
  • वर्ली चित्रकला के चित्रों में मुख्यतः फसल पैदावार ऋतु, शादी, उत्सव, जन्म और धार्मिकता को दर्शाया जाता है।
  • यह कला वर्ली जनजाति के सरल जीवन को भी दर्शाती है। वे रंगद्रव्य के लिए गाय के गोबर, मिट्टी, लाल ईंटों और सफेद आटे के पेस्ट का उपयोग करते हैं।
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  • वर्ली चित्रकला आकृतियाँ प्रकृति के विभिन्न तत्वों के प्रतीक हैं। वृत्त सूर्य और चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि त्रिभुज पहाड़ों और शंक्वाकार पेड़ों को दर्शाता है। इसके विपरीत, वर्ग एक मानव आविष्कार के रूप में प्रस्तुत करता है, जो एक पवित्र बाड़े या भूमि का एक टुकड़ा दर्शाता है।
  • महाराष्ट्र की प्रमुख जनजातियाँ वारली, खोंड, भैना, कटकरी, भुंजिया, राठवा, धोडिया हैं।

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  • महाराष्ट्र में वारली चित्रकला, पिंगुली चित्रकथी प्रसिद्ध है |
  • झारखण्ड में पैटकर, जादोपटिया चित्रकला, सोहराई कला, कोहवर कला, गंजू कला, कुर्मी कला, मुंडा कला, तुरी कला, घाटवाल कला प्रसिद्ध है |
  • तमिलनाडु में तंजौर चित्रकला, मीका चित्रकला प्रसिद्ध है |
  • उत्तरप्रदेश में सांझी, लघु कला प्रसिद्ध है |
  • मैसूर चित्रकला:
  • कर्नाटक के मैसूर शहर में मैसूर चित्रकला शास्त्रीय दक्षिण भारतीय चित्रण का एक मूल्यवान रूप है | भारत के कई शास्त्रीय और पारंपरिक कला रूपों में मैसूर चित्रकला आमतौर पर हिंदू देवी-देवताओं और भारतीय पौराणिक कथाओं को दर्शाती हैं जो अपनी सुंदरता, बनावट और विस्तार पर ध्यान देने के लिए प्रसिद्ध हैं।
  • मधुबनी चित्रकला बिहार में पाई जाने वाली सबसे लोकप्रिय पारंपरिक कला रूपों में से एक है। बिहार के मिथिला जिले के मधुबनी जिले में हुई थी। इन चित्रों में अमूर्त ज्यामितीय रूप जैसी विशेषताएं भी शामिल हैं। मधुबनी पेंटिंग के लिए चावल के पाउडर के रंगीन पेस्ट का उपयोग किया जाता है।
  • मधुबनी चित्रकला के चित्रों में मनुष्यों, जानवरों, पेड़ों, फूलों, पक्षियों, मछलियों आदि को दिखाया जाता है |इन चित्रों को बनाने के लिए, इंडिगो, हल्दी, फूलों और पेड़ों से रंग, आदि का उपयोग किया जाता है।
  • कावड़ कला राजस्थान में प्रसिद्ध है |
  • झरनापट्टचित्र पश्चिम बंगाल से सम्बंधित है |
  • कलमकारी पेंटिंग आंध्र प्रदेश से सम्बंधित है |
  • पट्टचित्र भारत का एक अन्य पारंपरिक कला रूप में पूर्वी भारतीय राज्यों ओडिशा और पश्चिम बंगाल में आधारित समकालीन, कपड़ा आधारित स्क्रॉल चित्रकला के लिए एक सामान्य शब्द है। पट्टचित्र का अर्थ छवि है।
  • पट्टचित्र कैनवास पर प्रस्तुत एक चित्रकला है, जो समृद्ध रंगीन प्रदर्शन, कल्पनाशील रूपांकनों और डिजाइनों द्वारा चित्रित किया गया है, और कार्डिनल विषयों का प्रतिनिधित्व करता है, जो अक्सर चित्रण में पौराणिक होता है।
  • भील जनजाति राजस्थान की सबसे पुरानी जनजाति है। भील मुख्यतः दक्षिणी राजस्थान में रहते है।
  • कर्क रेखा उत्तरी गोलार्द्ध में भूमध्य रेखा के समानान्तर 23°30′ पर, ग्लोब पर पश्चिम से पूर्व की ओर खींची गई काल्पनिक रेखा है। इसे Tropic of Cancer भी कहते हैं।
  • कर्क रेखा भारत के 8 राज्यों मिजोरम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल झारखण्ड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात से होकर गुजरती है। कर्क रेखा का अक्षांशीय मान 23/2° उत्तरी अक्षांश है।
  • सबसे छोटा प्रवासी पक्षी छोटी जलरंक (स्टिंट) का वजन 15 ग्राम जितना कम, आर्कटिक क्षेत्र से भारत पहुंचने के लिए 8000 किमी से अधिक की यात्रा करता है। जो उत्तर ध्रुवीय क्षेत्र से भारत आता है।
  • पक्षी भोजन, आश्रय और प्रजनन की तलाश में प्रवास करते हैं।
  • प्रवासी पक्षी के उदाहरणों में शामिल हैं – फ्लेमिंगो, कोयल, ब्लैक-क्राउन नाइट हेरॉन, एशियन कोयल।
  • सार फ्लेमिंगो एक प्रवासी पक्षी है, जो ठंड से बचने के लिए और भोजन की तलाश में एशिया में प्रवास करता है।
  • हमिंग बर्ड को दुनिया का सबसे छोटा पक्षी माना जाता है। हमिंग बर्ड, यही व पक्षी है जो पीछे की ओर उड़ता है। हमिंग बर्ड की 360 प्रजातियाँ हैं |
  • सीखपर बत्तख, कर्ल्यूज, हंसावर, मतस्यकुररी और छोटी जलरंक प्रत्येक वर्ष सर्दियों के मौसम में हमारे देश में प्रवास करते हैं।
  • पक्षी अपने अंडे देने के लिए घोंसले का निर्माण करते हैं और अपने छोटे बच्चों को सेते हैं।
  • सभी पक्षी घोंसलों का निर्माण नहीं करते उदाहरण के लिए कोयल अपना अंडा कौवे के घोंसले में देती है।
  • डव कैक्टस के पौधे या मेहंदी की बाड़ के बीच अपना घोंसला बनाता है |
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  • गौरैया और कबूतर कहीं भी एक अलमारी के ऊपर, एक दर्पण के पीछे, एक कगार पर अपना घोंसला बनाते हैं।
  • बारबेट या कॉपरस्मिथ पक्षी एक पेड़ के तने में एक छेद में अपना घोंसला बनाता है।
  • टेलरबर्ड एक झाड़ी पर दो पत्तियों को एक साथ जोड़कर अपना घोंसला बनाने के लिए अपनी तेज चोंच का उपयोग करता है। यह अपने द्वारा बनाई गई पत्ती की तह में अपने अंडे देती है।
  • सनबर्ड एक घोंसला बनाता है जो एक छोटे पेड़ या झाड़ी की शाखा से लटकता है।
  • रोबिन जमीन के स्तर पर नरम टहनियों, जड़ों, ऊन, बालों और कपास के ऊन के साथ, पेड़ की निचली शाखाओं या कभी-कभी शीर्ष पर अपना घोंसला बनाता है।
  • अलग-अलग पक्षी अलग-अलग जगहों पर घोंसले बनाते हैं, कुछ जमीनी स्तर पर, कुछ पेड़ पर घोंसला बनाते हैं।
  • विभिन्न पक्षी अपने घोंसले बनाने के लिए विभिन्न तकनीकों और विभिन्न सामग्रियों का उपयोग करते हैं।

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  • वीवरबर्ड (बया पक्षी) एक छोटी सी चिड़िया  होती है।
  • वीवरबर्ड (बया पक्षी) घास के तने और अन्य पौधों के रेशों का उपयोग करके अपने घोंसले के निर्माण की तकनीक के लिए जाने जाते हैं।
  • वीवरबर्ड (बया पक्षी) विशेष रूप से अपने छत वाले घोंसलों के लिए जाने जाते हैं जो जटिल, लटकते बुने हुए कक्षों का निर्माण करते हैं।
  • वीवरबर्ड की कई प्रजातियां अत्यधिक मिलनसार होती हैं।
  • नर वीवरबर्ड पक्षी खूबसूरती से बुने हुए घोंसले बनाते हैं।
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  • मादा वीवरबर्ड सभी घोंसलों को देखती है और उसे जो सबसे अच्छा लगता है उसे चुनती है और तय करती है कि उसे किस घोंसले में अंडे देना है।
  • पक्षियों की अलग-अलग विशेषताएं होती हैं सभी की अलग-अलग चोंच, गर्दन के पंख, आंखें आदि होते हैं।
  • मैना पक्षी तिलियर परिवार की प्रजातियां हैं। मैना को बात करने और किसी भी आवाज़ की नकल करने की  क्षमता के लिए जाना जाता है। मैना अफ्रीका, भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में पायी जाती हैं। भारत में इन्हें मैना के नाम से जाना जाता है। मैना मध्यम कद की होती हैं और उनके पैर मजबूत होते हैं। वे झटके से अपना सिर पीछे की ओर ले जा सकती हैं।
  • उल्लू एक निशाचर पक्षी है वह दिन में सोता है और रात में जागता है उल्लू मांसाहारी होते हैं। वे मूषक, छोटे और मध्यम आकार के स्तनधारियों, कीड़े, मछली और अन्य पक्षियों को खाते हैं।
  • उल्लू अपनी गर्दन को 270 डिग्री तक घुमा सकता हैउल्लू काफी हद तक अपनी गर्दन को पीछे की ओर घुमा सकता है।
  • कोयल पक्षी अपने मधुर गीतों के लिए जानी जाती हैं। वे अन्य पक्षियों के घोंसले में अंडे देती हैं। इनका रंग काला-नीला होता है। ये अपनी गर्दन को काफी हद तक पीछे की ओर नहीं ले जा सकती हैं।
  • रौनी द्वारा इटली से भारत की यात्रा में इटालियन चीज (पनीर) को भारत लाने के लिए निर्वात पैकिंग तकनीक से पनीर सुरक्षित आ सकता है। निर्वात पैकिंग में खाद्य पदार्थों के ऑक्सिकरण को रोका जा सकता है। निर्जलीकरण जिसे अंग्रेजी में डिहाइड्रेशन कहते हैं, शरीर में पानी की कमी का परणाम होता है। यह स्थिति तब पैदा होती है, जब शरीर से निकलने वाले पानी की मात्रा दिनभर में ली जाने वाली पानी की मात्रा से अधिक हो जाती है। निर्जलीकरण को कम करने के लिए जीवन रक्षक घोल (ओ.आर.एस.) है। जलीय वातावरण में सूक्ष्मजीवों को प्लवक कहते हैं। प्लैंक्टन मछली के भोजन का आधार है।
  • ऑनलाइन कक्षाओं की अवधि में ई.वी.एस. शिक्षिका दृष्टि बाधित विद्यार्थी को निम्नलिखित तरीके से शिक्षण करेगी—
    • वह मौखिक रूप से भी समझाए। 
    • आवाज़ में संदेश साझा करके​ |
    • सहपाठी के द्वारा व्याख्या|
  • श्रवण बाधित बच्चों की शैक्षिक आवश्यकताओं के प्रबंध के लिए शिक्षिका को निम्नलिखित आवश्यकताओं के प्रबंध करना चाहिए—
    • (i) ऑनलाइन कक्षा के दौरान विशेष शिक्षण की सहायता लेकर।
    • (ii) केवल उनके लिए ऑफलाइन कक्षा का प्रबंध करके।
    • (iii) उपशीर्षकों और साथ-साथ अनुशीर्षकों को अपने वीडियो और पी.पी.टी. से जोड़ना ।
    • (iv) अधिक दृश्यों का उपयोग करना ।
  • झूम खेती की मिजोरम में होता है। भारत की पूर्वोत्तर पहाड़ियों में आदिम जातियों द्वारा की जाने वाली इस प्रकार की कृषि को झूम कृषि कहते हैं। इस प्रकार की स्थानांतरणशील कृषि को श्रीलंका में चेना, हिन्देसिया में लदांग और रोडेशिया में मिल्पा कहते हैं।
  • झारखंड में झूम खेती को ‘कुरूवा नाम’ से जाना जाता है। झूम खेती के रूप में प्रचलित इस प्रणाली को अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम, मेघालय, त्रिपुरा और मणिपुर जैसे भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में पर्याप्त जनसंख्या के लिये खाद्य उत्पादन का एक महत्त्वपूर्ण आधार माना जाता है।
  • दक्षिणी भारत में मनाए जाने वाले फसल काटने वाले पर्व ओणम, पोंगल, उगादी और वीशू हैं।
  • ओणम केरल का एक प्रमुख त्योहार है। ओणम केरल का एक राष्ट्रीय पर्व भी है। ओणम का उत्सम सितम्बर में राजा महाबली के स्वागत में प्रति वर्ष आयोजित किया जाता है।
  • पोंगल दक्षिण भारत में मनाया जाने वाला एक लोकप्रिय त्योहार है, जिसे 14 से 17 जनवरी के बीच मनाया जाता है। किसान फसल पक जाने की खुशी में मनाते हैं।

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  • बगुला संसार भर में पाया जाता है।बगुला पानी में काफ़ी देर तक बिना हिले-डुले सीधा खड़ा रहता है।इसको ‘ध्यानस्थ योगी’ कहा जाता है।इसका रंग सफेद, भूरा, नीला, काला होता है।बगुला का भोजन मुख्यतः मछली है और इसकी गर्दन S की आकृति में होती है।बगुला भगत पंचतंत्र की प्रसिद्ध कहानियों में से एक है जिसके रचयिता आचार्य विष्णु शर्मा हैं।
  • स्लाथ भालू जैसे दिखते हैं स्लाथ पेड़ पर रहते हैं उसी पेड़ की पत्तियां खाते हैं । यह सप्ताह में सिर्फ एक बार ही शौच के लिए पेड़ से नीचे उतरते हैं यह दक्षिण अफ्रीका में पाए जाते हैं। स्लाथ दिन में करीब 17 घंटे पेड़ से उल्टे सिर लटक कर सोते हैं । स्लाथ शाकाहारी होता है।
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  • बाघ का वैज्ञानिक नाम पेंथेरा टाइग्रिस है इसके दाँत बहुत नुकीले होते है।
  • हर साल 29 जुलाई को बाघ दिवस मनाया जाता है बाघ भारत देश का राष्ट्रीय पशु है |
  • बाघ की दहाड़ काफी दूर तक सुनी जा सकती है बाघ शरीर पर काले रंग की धारियां होती हैं |इसका वजन 300 किलोग्राम तक होता है यह बहुत ऊँचाई तक छलाँग मार सकता है।
  • बाघ अंधेरे में हम से 6 गुना बेहतर देख सकता है।
  • बाघ की मुछे रास्ता ढूंढने,शिकार करने ,हवा का कंपन समझने में सहायक होती हैं।
  • बाघ की त्वचा पर काली,पीली धारियां होती हैं।
  • बाघ बिल्ली प्रजाति का बड़ा जानवर है |
  • बाघ एक मांसाहारी जानवर है यह जंगलों में पाया जाता है बाघ पंजे बहुत मजबूत होते है।
  • बाघ 10 से 15 वर्ष जीवत रह सकता है।
  • एक बाघ किसी दूसरे बाघ को मूत्र की गंध से पहचान लेता है शेर का गुर्राना 3 किलोमीटर तक सुना जा सकता है ।
  • बाघ की सुनने की क्षमता इतनी तेज होती है कि वह हवा के पत्तों को हिलने और शिकार के झाड़ियों में हिलने से हुई आवाज में अंतर भाप लेता है ।
  • बाघ 65 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से दौड़ सकता है बाघ गर्भाधान काल साढ़े तीन महीने का होता है |
  • बाघिन अपने बच्चे के साथ रहती है। बाघ के बच्चे शिकार पकड़ने की कला अपनी माँ से सीखते है |

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  • हुदहुद (Hoopoe Bird) एशिया, यूरोप और अफ्रीका महाद्वीप में मिलता है। यह पक्षी धूप भी लेता है जिसे हम सन बाथिंग कहते है। इसकी सबसे बड़ी खासियत उसके सर पर मौजूद पँखो की कलगी है। इसकी दूसरी सबसे बड़ी खासियत इसकी चोंच है। यह चोंच लम्बी और मुड़ी हुई एवं काले रंग की होती है जिससे यह मिट्टी के अंदर के कीड़ों को आसानी से खा सकती है। इसकी तीसरी सबसे बड़ी खासियत इसकी रंगीन पंख है।
  • हुदहुद (Hoopoe Bird)के पंख पर ब्लैक एंड व्हाइट धारियां होती है।
  • हुदहुद (Hoopoe Bird)का आकार मैना जैसा होता है इस पक्षी की लम्बाई लगभग 30 सेंटीमीटर है।
  • हुदहुद (Hoopoe Bird) मुख्य भोजन कीड़े मकोड़े, छोटे सरीसृप, मेंढक, घोंघे एवं बीज और फल है।
  • हुदहुद पक्षी के घोंसले पेड़ो के कोटर में बने होते है। इनके घोंसले में जाने के लिए प्रवेश द्वार छोटा होता है जिससे शिकारी एवं दुशमन जानवर घोंसले में जा नही पाते है।
  • हुदहुद पक्षी का स्वभाव शांत है लेकिन इसके घोंसले से छेड़छाड़ करने पर यह आक्रमण कर देता है ।
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  • हुदहुद पक्षी नर और मादा देखने में लगभग एक समान होते है।यह एक बार में 8 से 10 अंडों देती है। अंडों से 15 से 20 दिनों में बच्चे निकलते है। इसके बच्चे करीब एक महीने में उड़ने लायक हो जाते है।
  • कुछ हुदहुद प्रजाति पक्षी प्रवास भी करते है। यह जोड़ा बनाकर रहता है। इनका जोड़ा केवल एक सीजन तक ही सीमित रहता है।
  • इजरायल देश का राष्ट्रीय पक्षी हुदहुद है।
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